छुंयाळ छुंयीं लगा
छुंयाळ छुंयीं लगा
ऐ छुंयाळ छुंयीं लगा
गुमसुम किले तू आज बैठी चा
आपरा जिकोड़ी मा तू
कुछ ना लुका कुछ ना लुका
छुंयीं लगाकी तो बोली जा
भैजी मेरा तू ना और मीथै रुशा
ब्याल ब्यो व्हाई आज स्वामी परदेश चा
कंन कटनी ऐ यकुली दिन
क्या होलो जबै आली वो कली रात चा
ऐ छुंयाळ छुंयीं लगा
गुमसुम किले तू आज बैठी चा
आपरा जिकोड़ी मा तू
कुछ ना लुका कुछ ना लुका
छुंयीं लगाकी तो बोली जा
भोळ क्या होली ऐ सोच मा छों,
गढ़ मा बस अब दाणा बुढया नाना छोरों
बेटी ब्वारी की खैरी विपदा व्यथा
की लगी चौमास बरसात चा
ऐ छुंयाळ छुंयीं लगा
गुमसुम किले तू आज बैठी चा
आपरा जिकोड़ी मा तू
कुछ ना लुका कुछ ना लुका
छुंयीं लगाकी तो बोली जा
पुंगडी हमरी बांज पौडी
डांडू मा दूर तक मौलयार छायूँ
टूटी छनी लैंदु गौड़ मेरु वाख माथा
भ्युओ लागलो कंन जाओ मी राता
ऐ छुंयाळ छुंयीं लगा
गुमसुम किले तू आज बैठी चा
आपरा जिकोड़ी मा तू
कुछ ना लुका कुछ ना लुका
छुंयीं लगाकी तो बोली जा
चुल्हू जग्दु चुल्हू बुझ्दु
बस साथ ही साथ चा
ऐ मेरी जुनी मा छायीं
कण ओंसी की काली रात चा
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें