कनु लड़िक बिगड़ि म्यारु ब्वारी कैर की
कनु लड़िक बिगड़ि म्यारु ब्वारी कैर की
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भावार्थ- हाय! अपनी पत्नी के कहने पर कैसा बिगड़ गया मेरा लड़का? अब हम अपने दिल की बात (दिल का दर्द) किसे जा कर बतायें? किसे बतायें हम अपने हृदय का हाल। हमने उसकी पढाई की खातिर क्या क्या ना किया यहाँ तक की नथुलि (नाक में पहनने का आभूषण) भी बेच दी, शादी करने के लिये हमने अपनी पुंगड़ी (खेती योग्य जमीन) बेची, तब यह उम्मीद थी कि बहू आयेगी तो सुख के दिन देखने को मिलेंगे। लेकिन बहू तोडोली से उतरी भी नहीं और बेटे के साथ शहर चली गई हमें तो लगा कि हमारी तो पीठ में जैसे किसी ने भारी चोट कर दी हो।
पता नहीं बहू ने कैसा जादू फेरा कि हमारा बेटा हमारा नहीं रहा. अब तो हमे वह पहचानता भी नहीं है. किसी से कह कर अब क्या होगा जब अपना सोना ही खोटा हो गया. इसकी खातिर अपना मन मार कर आखिर हमें क्या हासिल हुआ?
हमारी बहू तो हमारे बेटे को लेकर चली गयी। अब इन खेतों में हम ही को अपनी हड्डी तोड़नी होगी (मेहनत करनी होगी)। हमें ही बस अब भैंस चराने होंगे, घर सँभालना होगा और जंगल भी।
सब के अच्छे-बुरे दिन आते हैं, लेकिन हमें तो चने के दो दाने भी नसीब नहीं हो रहे हैं। हमारे लिये तो अभिवादन भी (बहू-बेटे का) दुर्लभ हो गया है। यह अलग बात है कि बेटा समधी के घर (अपने ससुराल) बराबर मनीआर्डर भेजता है। ऐसे बेटे के लिये कर्ज लेकर हमें क्या मिला?
कनु लड़िक बिगड़ि म्यारु ब्वारी कैर की
कनु लड़िक बिगड़ि म्यारु ब्वारी कैर की, कनु लड़िक बिगड़ि म्यारु ब्वारी कैर की
कै मां लगाणींन छुईं अपणि खैर की
कनु लड़िक बिगड़ि म्यारु ब्वारी कैर की, कै मां लगाणींन छुईं अपणि खैर की
छुईं अपणि खैर की
नथुली बेची पढ़ाई-लिखाई, नथुली बेची पढ़ाई-लिखाई
पुंगड़ि बेचि कि मिल ब्वारी काई
सोचि छो ब्वारी को सुख द्येखुलूं, डोला बटी ब्वारी भयां भी नि आई
नौना दगड़ि चल गै देस बौगा मारि की
कै मां लगाणींन छुईं अपणि खैर की, छुईं अपणि खैर की
ब्वारी बिचरि लै यनु जाप काई, ब्वारी बिचरि लै यनु जाप काई
सैंत्यूं नौनु भी बस माँ नि राई
अब त हमथें पछैण्दू बी नि छ , अपणु ही सोनु खोटु ह्वै ग्याई
क्या पाई येका बाना मिन ज्यू मारि की
कै मां लगाणींन छुईं अपणि खैर की,
कनु लड़िक बिगड़ि म्यारु ब्वारी कैर की, कै मां लगाणींन छुईं अपणि खैर की
छुईं अपणि खैर की
छौंति ब्वारी स्यू चौन डांड्यू जाणूं,छौंति ब्वारी स्यू चौन डांड्यू जाणूं
डोकरी पुंगड़ियों मा हडग्यूं तुणाणूं, लैदा कीदां ये घौरें जानदीना
मि स्यूं चाउ बांझा भैंसूं चरानू , सतियों सम्भाल्यूं लि जान्दिना झाड़ि काट की
कै मां लगाणींन छुईं अपणि खैर की,
भलि-बुरी चीज लोगूं की ऐनी , भलि-बुरी चीज लोगूं की ऐनी
मिल दुई दाणि चनौ की नि पैनी, हमखुणि सेवा सौणि भी हर्ची
समधण्यौं थैनि मनीओर्डर गैनी, क्या पायी येका बाना मिल्ज्यू मार की
कै मां लगाणींन छुईं अपणि खैर की,
कनु लड़िक बिगड़ि म्यारु ब्वारी कैर की, कै मां लगाणींन छुईं अपणि खैर की
छुईं अपणि खैर की
छुईं अपणि खैर की
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