रंग नीलु उंचा अगास को – दिखैंणा कुई नीलु



रंग नीलु उंचा अगास को – दिखैंणा कुई नीलु

यह सुन्दर गाना देखिये-एक युवक किसी अत्यन्त सुन्दर युवती से कुछ सवाल पूछ रहा है। सामान्य रूप से देखने पर इस गाने के बोल प्रेमी द्वारा प्रेमिका को रिझाने के लिये बोले गये संवाद प्रतीत हो सकते हैं, लेकिन यदि बोलों के गूढ अर्थ को समझा जाये तो असल में कवि/गायक युवती के शारीरिक सौन्दर्य को नगण्य मानते हुए उसके अन्तर्मन की सुन्दरता को परखने की कोशिश कर रहा है।
भावार्थ : आकाश का रं
ग नीला दिखता है और गंगाजी का रंग हरा, लेकिन हकीकत यह है कि इन रंगों का हमें सिर्फ आभास होता है। हे सुन्दरी तुम्हें भी तो सब लोग मायादार (प्रेयसी) बोलते हैं लेकिन तुम्हारा यह प्रेम भी कहीं सिर्फ दिखलावा तो नहीं है?
नीची गंगा घाटियों में रहने वाले लोग कहते हैं कि तुम्हारा रूप ऐसा स्वच्छ लगता है जैसे उसमें से धोकर और छानकर सभी कमियां निकाल दी गयी हों। ऊंचे पर्वतों पर रहने वाले लोगों को तुम्हारा रूप बुरांश फूल को निचोड़ कर निकाले गये रस जैसा गुलाबी लगता है। वैसे तो सारी दुनिया तुम्हें बांद (सुन्दरी) कहती है लेकिन तुम मन की भी सुन्दर हो या फिर तुम्हारी यह सुन्दरता सिर्फ बाहर से देखने भर की है।
पुरुषों को लगता है कि तुम्हारा चेहरा ऐसे चमकता है जैसे पहाड़ की चोटियां धूप पड़ने पर खिल जाती हैं। महिलाओं को लगता है कि तुम्हारे मांसल हाथ-पर और छरहरी काया किसी रानि की तरह लगती है। यदि लोग कहते हैं तो निश्चित ही तुम बहुत अच्छी होगी लेकिन क्या तुम्हारा स्वभाव और आचरण भी अच्छा है या फिर तुम खाली देखने की ही भली हो?
बाहर का रंग तो अक्सर देखने पर आंखें चकरा जाती हैं लेकिन अन्दर के रंगों का रहस्य समझ पाना कहुत कठिन है। जो दूसरे के दिल के रंग को समझ जाता है वह ही सयाना (बुद्धिमान) है और फिर कभी धोखा नहीं खा सकता। वैसे तो तेरी आंखों में भी रंग हैं और रूप में भी। लेकिन क्या तुममें लाज-शरम का रंग भी है या फिर तुम ऐसे ही दिखने की रंगीन हो।
जिस तरह आकाश का आभासी रंग नीला होता है और गंगाजी का रंग हरा, लेकिन हकीकत यह है कि यह वास्तविक रंग नही होते हैं। हे सुन्दरी तुम्हें भी तो सब लोग मायादार (प्रेयसी) बोलते हैं लेकिन तुम्हारा यह प्रेम भी कहीं सिर्फ दिखावा भर तो नहीं है?
गीत 

रंग नीलु उंचा अगास को, रंग नीलु उंचा अगास को – दिखैंणा कुई नीलु
रंग हेरु गेरि गंगा जी को, रंग हेरु गेरि गंगा जी को – दिखैंणा कुई हेरु
मायादार बोदिन त्वैकु – मायादार बोदिन त्वैकु
छै च माया त्वैमां – के तू भि देखिणां की छै
रंग नीलु उंचा अगास को, रंग नीलु उंचा अगास को – दिखैंणा कुई नीलु
रंग हेरु गेरि गंगा जी को, रंग हेरु गेरि गंगा जी को
रूप चलौं-मटैळ्यों मां छण्युं, निस्स गंगाड़ि भाबरि बोदिन
आ हा आ हा गंगाड़ि भाबरि बोदिन,
रंग बुरांस कु फूल निचोड़्युं, उच्चा डांडों का रैबासि बोदिन
आ हा आ हा रैबासि बोल्दिन
बांद बोदि सेरि दुन्या त्वैकु – बांद बोदि सेरि दुन्या त्वैकु
मन कि भि छै बांद, के बांद देखिणां

की छै
रंग नीलु उंचा अगास को, रंग नीलु उंचा अगास को – दिखैंणा कुई नीलु
रंग हेरु गेरि गंगा जी को, रंग हेरु गेरि गंगा जी को
कांठो सुरिज सी दप्प मुखुड़ि, बैख बोदिन क्या भलि क्या स्वांणि
आ हा आ हा क्या भलि क्या स्वांणि
बुंदक्यालि हाथखुट्टी, गात छिड़छिड़ि, बांद बोदिन जनि राजो कि रांणि
आ हा आ हा जनि राजो कि रांणि
लोग बोदिन त भलि हि होलि – लोग बोदिन त भलि हि होलि
सगोर सुभो भि छ भलो, के भलि दिखेणां कि छै
रंग नीलु उंचा अगास को, रंग नीलु उंचा अगास को – दिखैंणा कुई नीलु
रंग हेरु गेरि गंगा जी को, रंग हेरु गेरि गंगा जी को

भैरा का रंगु में आंखा रंगर्यांन्दा, भितर का रंगों को भेद नि पान्दा
आ हा आ हा बल भेद नि पान्दा
जिकुड़ि को रंग पछ्याड़ हालि जोन, वो सयांणा कभि धोख्खा नि खान्दा
आ हा आ हा बल धोख्खा नि खान्दा
आख्युं मां रंग तेरि सान्यु मां रंग, आख्युं मां रंग तेरि सान्यु मां रंग
लाज को रंग भि त्वैंमां, के रंगीन देखिणां की छै
रंग नीलु उंचा अगास को, रंग नीलु उंचा अगास को – दिखैंणा कुई नीलु
रंग हेरु गेरि गंगा जी को, रंग हेरु गेरि गंगा जी को – दिखैंणा कुई हेरु
मायादार बोदिन त्वैकु – मायादार बोदिन त्वैकु
छै च माया त्वैमां – के तू भि देखिंणां की छै
रंग नीलु उंचा अगास को, रंग नीलु उंचा अगास को – दिखैंणा कुई नीलु
रंग हेरु गेरि गंगा जी को, रंग हेरु गेरि गंगा जी को

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

हे मेरी आंख्यूं का रतन बाला स्ये जादी, बाला स्ये जादी

लायुं छो भाग छांटी की देयुं छो वेकु अन्जोल्युन न

जय बद्री केदारनाथ गंगोत्री जय जय जमुनोत्री जय जय