कारगिले लड़ै मां छौऊं…तू उदास न ह्वै मां




कारगिले लड़ै मां छौऊं…तू उदास न ह्वै मां….

उत्तराखण्ड में सैन्य परंपरा का गौरवशाली इतिहास रहा है। उन्नीसवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में जब अंग्रेजों ने गढवाल-कुमांऊं में अपना राज्य स्थापित करने के उद्देश्य से आक्रमण किया तो वह यहाँ के यौद्धाओं से बहुत प्रभावित हुए और गढवाल-कुमाऊँ के साथ-साथ नेपाल के गोरखाओं को भर्ती में विशेष रियायतें देकर सेना में शामिल किया। उत्तराखण्ड के वीर सैनिकों ने प्रथम व द्वितीय विश्व में अपने शौर्य का बेहतरीन प्रदर्शन किया। अंग्रेजों के समय ही गढवाल राइफल व कुमाऊँ रेजिमेन्ट का गठन किया गया। स्वतन्त्र भारत के सभी युद्धों में गढवाल राइफल व कुमाऊँ रेजिमेन्ट के वीर सिपाहियों ने अपने युद्ध कौशल व अदम्य साहस से कई महत्वपूर्ण मोर्चे फतह किये और भारी संख्या में शहादत दी.
1999 में जब पाकिस्तान की तरफ से कारगिल क्षेत्र में भारी घुसपैठ की गई तो उन्हें खदेड़ने और कारगिल की कई प्रमुख चोटियों पर दुबारा भारत का अधिकार करवाने में भी कुमाऊँ रेजिमेन्ट व गढवाल राइफल की विशेष भूमिका रही। जिस समय यह युद्ध लड़ा जा रहा था तब सैनिकों के परिवार अपने लाड़लों की खैरियत की सूचना पाने को बेताब रहते थे। उत्तराखण्ड जैसा क्षेत्र जिसमें लगभग हर परिवार से एक सदस्य सेना में कार्यरत या सेवानिवृत्त है, युद्ध में लड़ रहे किसी सैनिक का अपनी माँ को भेजा गया सन्देश है। इस सन्देश में अपनी पल्टन (गढवाल राइफल) के प्रति गर्व का भाव है, दुश्मन के प्रति नफरत है और देश की रक्षा में शहीद होने की कामना भी है।
भावार्थ : माँ मैं पल्टन (सेना) का आदेश के अनुसार कारगिल की लड़ाई में हूँ। माँ तू कतई उदास ना होना, अपने को अकेला मत समझना क्यूंकि तेरे साथ पूरा देश खड़ा है। जिस दिन मैं या फिर मेरे साथी लाम (युद्धक्षेत्र) जीतकर आयेंगे, उस दिन हम पर गर्व करना, रोना मत। युद्ध में जीतना तो हमारी गढवाल राइफल का पेशा ही है। माँ तू कतई उदास ना होना, अपने को अकेला मत समझना क्यूंकि तेरे साथ पूरा देश खड़ा है। दुश्मन हमारी सीमा को लांघ कर देश के अन्दर घुस आया है, अब वह अपने प्राणों की भीख मांग कर भी जिन्दा बचकर नहीं जा पायेगा। उसने अपना वचन तोड़ा है, इस बात का हमें गहरा दु:ख है। लेकिन माँ तू कतई उदास ना होना, अपने को अकेला मत समझना क्यूंकि तेरे साथ पूरा देश खड़ा है।
युद्धक्षेत्र की स्थिति बताते हुए सैनिक कहता है- इन रूखे-सूखे, वनस्पतिविहीन डानों (पहाड़ों) पर चारों तरफ बर्फ गिरी हुई है। बिना रुके तोपें चल रही हैं, ऐसा लगता है जैसे आसमान से बम और गोले बरस रहे हैं। माँ अभी मैं यह नहीं कह सकता कि तुम्हारे पास पहले मेरी यह चिट्ठी पहुँचेगी या मेरी शहादत का समाचार देने वाला तार (टेलीग्राम), लेकिन मैने देशरक्षा की सौगंध खायी है और यह सौगंध मैं कभी तोड़ नहीं सकता। अब तो मेरी आखिरी ख्वाहिश यही है कि मुझे तिरंगे का कफन मिले। (युद्धक्षेत्र में शहादत मिले)। लेकिन माँ तू कतई उदास ना होना, अपने को अकेला मत समझना क्यूंकि तेरे साथ पूरा देश खड़ा है।

भारत का इतिहास उत्तराखंड के वीरों के अनुपम शौर्य एवं गौरवशाली सैनिक परम्पराओं तथा बलिदान की गाथाओं से भरा पड़ा है। विपरीत परिस्तिथियों में संघर्ष करने की शक्ति गढ़वालियों की विशेषता रही है। इन बहादुर सैनिकों में भी श्री दरबान सिंह नेगी ने संघर्ष करते हुए प्रथम पंक्ति में ख्याति अर्जित की है। इन्हें प्रथम विश्व युद्ध में अपनी अभूतपूर्व बहादुरी एवं शौर्य प्रदर्शित करने के उपलक्ष्य में ‘विक्टोरिया क्रास’पदक से सम्मानित एवं अलंकृत किया गया था।


गीत 

कारगिले लड़ै मां छौऊं – कारगिले लड़ै मां छौऊं, पल्टनो आदेश छ, तू उदास न ह्वै मां….
यखुलि नि छै तू, तेरा दगड़ा सैरो देश च, तू उदास न ह्वै मां….
कारगिले लड़ै मां छौऊं
मी औलूं कि त दगड़्या आला, लाम जीति जै दिन
मी औलूं कि त दगड़्या आला, लाम जीति जै दिन
हर्ष माने गर्व करि, मांजि रवैन वै दिन
रायल गढवाल रैफल हमारि – रायल गढवाल रैफल हमारि
जितुनु हमरु पेशा च , तू उदास न ह्वै मां….
यखुलि नि छै तू, तेरा दगड़ा सैरो देश च, तू उदास न ह्वै मां….
कारगिले लड़ै मां छौऊं
दुश्मन आयूं च भितर, हमरि सीमा लांघि की
दुश्मन आयूं च भितर, हमरि सीमा लांघि की
अब वो ज्युंदु जै नि सकदु, प्राण भीख मांगि की
कौ-करार तोड़ि वील – कौ-करार तोड़ि वील
दिल मां लगि ठैस च, तू उदास न ह्वै मां….
यखुलि नि छै तू, तेरा दगड़ा सैरो देश च, तू उदास न ह्वै मां….
कारगिले लड़ै मां छौऊं
यु रुखा पतरड़ा डांणों, ह्यूं पड़्यूं च चौदिशी
यु रुखा पतरड़ा डांणों, ह्यूं पड़्यूं च चौदिशी
रात अन्धेरा हमला करदा, गुण्डा क्वैन घिस-घिसि
तोप थौनि खन्दिन लगी- तोप थौनि खन्दिन लगी
बम गोलों कि मैंस च, तू उदास न ह्वै मां….
यखुलि नि छै तू, तेरा दगड़ा सैरो देश च, तू उदास न ह्वै मां….
कारगिले लड़ै मां छौऊं
पैल्लि य चिट्ठि मिललि कि तार, मांजि बोलि नि सकदु मी
पैल्लि य चिट्ठि मिललि कि तार, मांजि बोलि नि सकदु मी
देश रक्षा कि कसम खाईंन, कसम तोड़ि नि सकदि मी
तिरंगा कु कफन मिलु – तिरंगा कु कफन मिलु
ये आखिरि ख्वैश छ, तू उदास न ह्वै मां….
यखुलि नि छै तू, तेरा दगड़ा सैरो देश च, तू उदास न ह्वै मां….
कारगिले लड़ै मां छौऊं, पल्टनो आदेश छ तू उदास न ह्वै मां….
यखुलि नि छै तू, तेरा दगड़ा सैरो देश च, तू उदास न ह्वै मां….
कारगिले लड़ै मां छौऊं

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