तुम भी सूणां मिन सुणियाली, गढ़वाल ना कुमौं जालि



तुम भी सूणां मिन सुणियाली, गढ़वाल ना कुमौं जालि

भावार्थ- भाइयो और बहनो तुम भी सुनो मैने तो सुन लिया। सुना है कि दीक्षित आयोग ने कहा है कि उत्तराखण्ड की राजधानी न गढ़वाल जायेगी न कुमांऊँ, बल्कि ये देहरादून ही रहेगी। अब भई उनका कहने का काम था वो कह गये, हमने सुनना था सुन लिया। लेकिन गैरसैंण राजधानी के लिये जो हमारा संघर्ष है वह तो जारी रहेगा, हमारी यह लड़ाई चलती रहेगी।
“गैरसैंण” में ही राज्य की राजधानी बनेगी यह तो (उत्तराखंड) राज्य बनने से पहले ही निश्चित कर लिया गया था, पर “सरकार” ने जनता की यह बात नहीं मानी और अब जनता गढ़वाल और कुमाऊँ के बीच स्थित “गैरसैंण” को राजधानी बनाने की ठान ली है, अब जब ठान ली तो ठान ही ली। अब जो हमारा संघर्ष है वह तो जारी रहेगा, हमारी यह लड़ाई चलती रहेगी।
दीक्षित जी आपने नौ वर्षों बाद नींद से अचानक जाग कर अपनी रिपोर्ट सौंप दी, ऐसे विद्वान पंडित जी को सादर प्रणाम। जनता के पैंसठ लाख रुपयों को बर्बाद करने के बाद आप कितनी मुश्किल से देहरादून को राजधानी के लिये खोज पाये ना। लेकिन हमने तो “गैरसैंण” को राजधानी बनाने की ठान ली है, अब जो हमारा संघर्ष है वह तो जारी रहेगा, हमारी यह लड़ाई चलती रहेगी।
सुना है उन्होने कहा है कि गैरसैण में भूकम्प आने का डर है, अब भला ऐसी जगह राजकाज कैसे चलाया जायेगा। गैरसैण में देहरादून की तरह कोई सुख सुविधा भी तो नहीं है। ऐसे तर्क (कुतर्क?) देते हुए अफसरों और नेताओं ने भी देहरादून के पक्ष में आपसी सहमति बना ली है। अब दीक्षित आयोग की रिपोर्ट चाहे जो कहे, गैरसैंण राजधानी के लिये हमारा संघर्ष जारी रहेगा।
गैरसैंण के समीप ही अलकनन्दा और पिण्डर जैसी बड़ी नदियां बहती हैं और दीक्षित आयोग का कहना है कि गैरसेण में पेयजल की कमी है। यदि हमारी जल संपदा हम प्रयोग नहीं कर पाये तो क्या हमारे संसाधन बाहर के लोगों के काम आयेंगे? अब दीक्षित आयोग की रिपोर्ट चाहे जो कहे, गैरसैंण राजधानी के लिये हमारा संघर्ष जारी रहेगा।
कांग्रेस और भाजपा जैसे राष्ट्रीय राजनैतिक दल तो कभी भी गैरसैंण के पक्ष में नहीं रहे. UKD (उक्रांद) के नेता भी इस मुद्दे पर बुरी तरह उलझन में दिखाई दे रहे है क्योंकि वह संघर्ष की बात भी करते हैं और सत्ता का सुख भी भोगना चाहते हैं, लेकिन आखिर कब तक सरकार जनता की इस जायज मांग को अनदेखा कर पायेगी? दीक्षित आयोग की राय चाहे जो भी हो, गैरसैंण राजधानी के लिये हमारा संघर्ष जारी रहेगा, हमारी यह लड़ाई चलती रहेगी।

गीत 

तुम भी सूणां मिन सुणियाली, गढ़वाल ना कुमौं जालि
तुम भी सूणां मिन सुणियाली, गढ़वाल ना कुमौं जालि
उत्तराखण्डे राजधाणी- बल देहरादूणी मां रालि
दीक्षित आयोगन बोल्याली..
हाँ बल दीक्षित आयोगन बोल्याली.(कोरस)
ऊन बोल्ण छो बोल्याली, हमुन सुणन छो सुण्यालि
ऊन बोल्ण छो बोल्यालि, हमुन सुणन छो सुण्यालि(कोरस)
या भी लड़ें लगीं राली..
या भी लड़ें लगीं राली-हाँ जी लड़ें हमरी लागी राली (कोरस)
राज से पैल्लि राजधाणी, कै छे पर सरकार नी मानी
कै छे पर सरकार नी मानी – कै छे पर सरकार नी मानी (कोरस)
गढ़वाल – कुमौं का बीच, जनता न गैरसेण ठानी
जनता न गैरसेण ठानी – जनता न गैरसेण ठानी (कोरस)
ठाणयाली त ठाणयाली
या भी लड़ें लागी राली -हाँ जी लड़ें हमरी लागी राली (कोरस)
नौ बर्षों मां सै कि जागी, धन हो पण्डाजी पैलागी
धन हो पण्डाजी पैलागी – धन हो पण्डाजी पैलागी (कोरस)
पैंसठ लाख रूप्या खर्चीकी, देहरादुण अब खोज साकि
देहरादुण अब खोज साकि – देहरादुण अब खोज साकि (कोरस)
जनता का पैसा की छार्वालि
या भी लड़े लागी राली – हाँ जी लड़ें हमरी लागी राली (कोरस)
गैरसेण बल भ्यूंचल की डर, राज काज बल कनक्वै हूण
राज काज बल कनक्वै हूण – राज काज बल कनक्वै हूण (कोरस)
सुख सुबिधा कुछ भी नी छन वख, हमरो छन्द त देहरादूण
हम रो छन्द त देहरादूण – हमरो छन्द त देहरादूण (कोरस)
अफसर नेतोंन सोच्यालि
या भी लड़े लागी राली – हाँ जी लड़ें हमरी लागी राली (कोरस)
अल्लकनंदा पिंडर नदी, नित बगणिन काणिनी 
नित बगणिन काणिनी – नित बगणिन काणिनी (कोरस)
दीक्षित आयोग जी बोलणा छन, गैरसेण बल पाणी नी
गैरसेण बल पाणी नी – गैरसेण बल पाणी नी (कोरस)
यख जल सम्पदा भैर जाली
या भी लड़े लागी राली – हाँ जी लड़ें हमरी लागी राली (कोरस)
कांग्रेस भाजप्पा नी रैन, कभि गैरसेण का हक्क मां
कभि गैरसेण का हक्क मां – कभि गैरसेण का हक्क मां (कोरस)
सडकु मां भी सत्ता मां भी, यूकेडी जख वक्क मां
यूकेडी जख वक्क मां – यूकेडी जख वक्क मां (कोरस)
सरकार कब तब बौगा साराली
या भी लड़े लागी राली – हाँ जी लड़ें हमरी लागी राली (कोरस)
या भी लड़े लागी राली – हाँ जी लड़ें हमरी लागी राली (कोरस)


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