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मार्च, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मेरे घर आई एक नन्ही परी, एक नन्ही परी

मेरे घर आई एक नन्ही परी, एक नन्ही परी चांदनी के हसीन रथ पे सवार मेरे घर आई ... उसकी बातों में शहद जैसी मिठास उसकी सासों में इतर की महकास होंठ जैसे के भीगे\-भीगे गुलाब गाल जैसे के बहके\-बहके अनार मेरे घर आई ... उसके आने से मेरे आंगन में खिल उठे फूल गुनगुनायी बहार देख कर उसको जी नहीं भरता चाहे देखूँ उसे हज़ारों बार     (२) मेरे घर आई ... मैने पूछा उसे के कौन है तू हंसके बोली के मैं हूँ तेरा प्यार मैं तेरे दिल में थी हमेशा से घर में आई हूँ आज पहली बार मेरे घर आई ...

तेरे बिना ज़िंदगी से कोई, शिकवा, तो नहीं, शिकवा नहीं

  लता: तेरे बिना ज़िंदगी से कोई, शिकवा, तो नहीं, शिकवा नहीं शिकवा नहीं, शिकवा नहीं तेरे बिना ज़िंदगी भी लेकिन, ज़िंदगी, तो नहीं, ज़िंदगी नहीं ज़िंदगी नहीं, ज़िंदगी नहीं (काश ऐसा हो तेरे कदमों से, चुन के मंज़िल चले और कहीं दूर कहीं ) \- २ तुम गर साथ हो, मंज़िलों की कमी तो नहीं तेरे बिना ज़िंदगी से कोई, शिकवा, तो नहीं, शिकवा नहीं (जी में आता है, तेरे दामन में, सर छुपा के हम रोते रहें, रोते रहें ) \- २ तेरी भी आँखों में, आँसुओं की नमी तो नहीं किशोर: तेरे बिना ज़िंदगी से कोई, शिकवा, तो नहीं, शिकवा नहीं तेरे बिना ज़िंदगी भी लेकिन, ज़िंदगी, तो नहीं, ज़िंदगी नहीं तुम जो कह दो तो आजकी रात, चांद डूबेगा नहीं, रात को रोक लो रात कि बात है, और ज़िंदगी बाकी तो नहीं तेरे बिना ज़िंदगी से कोई, शिकवा, तो नहीं, शिकवा नहीं तेरे बिना ज़िंदगी भी लेकिन, ज़िंदगी, तो नहीं, ज़िंदगी नहीं

(देखा न हाय रे सोचा न हाय रे रख दी निशाने पे जाँ

(देखा न हाय रे सोचा न हाय रे रख दी निशाने पे जाँ कदमों में तेरे निकले मेरा दिल है बस यही अरमाँ) \- २ डोले डोले डोले अए अए ,डोले डोले डोले अए अए , डोले डोले अए अए आए (मिट जायेंगे मर जायेंगे, काम कोई कर जायेंगे मरके भी चैन ना मिले, तो जायेंगे यारों कहाँ ) \- २ अरे ओहो ... हूँ हूँ हूँ देखा ना हाय ... (क़ातिल है कौन, कहाँअहीं जाये चुप भी तो रहा नहीं जाये बुलबुल है कौन, कौन सय्याद कुछ तो कहो रे मेरि जाँ ) \- २ अरे ओहो ... हूँ हूँ हूँ देखा ना हाय ... (घर से निकले हम खाके क़सम छोड़ेंगे पीछा ना हम सर पे कफ़न बांधे हुए, आये दीवाना यहाँ ) \- २ अरे ओहो ... हूँ हूँ हूँ देखा ना हाय रे सोचा ना हाय रे रख दी निशाने पे जाँ कदमों में तेरे निकले मेरा दिल है बस यही अरमाँ

श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम लोग करें मीरा को यूँ ही बदनाम

श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम लोग करें मीरा को यूँ ही बदनाम साँवरे की बंसी को बजने से काम राधा का भी श्याम वोतो मीरा का भी श्याम १) जमुना की लहरें बंसीबट की छैयां किसका नहीं है कहो कृष्ण कन्हैया श्याम का दीवाना तो सारा बृज धाम लोग करें मीरा को ... २) कौन जाने बाँसुरिया किसको बुलाए जिसके मन भाए वो उसी के गुण गाए कौन नहीं बंसी की धुन का गुलाम राधा का भी ...

तुम्हारी नज़रों में हम ने देखा अजब सी चाहत झलक रही हैं

तुम्हारी नज़रों में हम ने देखा अजब सी चाहत झलक रही हैं तुम्हारे होठों की सुर्खियों से \- २ वफ़ा की शबनम झलक रही हैं तुम्हारी नज़रों ... अजब सी ... हमारी सांसों को छू के देखो तुम्हारी खुशबू महक रही है क़सम खुदा की यक़ीं करलो कहीं भी ना होगा हुस्न ऐसा न देखो ऐसे झुका के पलकें \- २ हमारी नीयत बहक रही हैं तुम्हारी नज़रों ... अजब सी ... तुम्हारी उल्फ़त में जानेजाना हमें मिली थी जो एक धड़कन हमारे सीने में आज तक वो \- २ तुम्हारी धड़कन धड़क रही हैं तुम्हारी नज़रों ... अजब सी ...

तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार उदासी मन काहे को करे..

तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार उदासी मन काहे को करे.. नैया तेरी राम हवाले, लहर लहर हरि आप सम्हाले हरि आप ही उठायें तेरा भार उदासी मन काहे को करे ..                       काबू में मँझधार उसी के हाथों में पतवार उसी के तेरी हार भी नहीं है तेरी हार उदासी मन काहे को करे .. सहज किनारा मिल जायेगा परम सहारा मिल जायेगा डोरी सौंप के तो देख एक बार उदासी मन काहे को करे .. तू {\rm `}निर्दोष' तुझे क्या डर है पग पग पर साथी ईश्वर है सच्ची भावना से कर ले पुकार उदासी मन काहे को करे  ..

दिल का भंवर करे पुकार प्यार का राग सुनो, प्यार का राग सुनो रे

दिल का भंवर करे पुकार प्यार का राग सुनो, प्यार का राग सुनो रे फूल तुम गुलाब का क्या जवाब आपका जो अदा वो बहार है आज दिल की बेकली, आ गई ज़बान पर बात ये है तुमसे प्यार है दिल तुम्हीं को दिया रे प्यार का राग सुनो रे ... दिल का भंवर ... चाहे तुम मिटाना, पर न तुम गिराना आँसू की तरह निगाह से प्यार कि उँचाई इश्क़ कि गहराई पूछ लो हमारी आह से आसमाँ छू लिया रे प्यार का राग सुनो रे दिल का भंवर ... इस हसीन उतार पे हम न बैठे हार के साया बन के साथ हम चले आज मेरे संग तो गूँजे दिल की आरज़ू तुझसे मेरी आँख जब मिले जाने क्या कर दिया रे प्यार का राग सुनो ... आप का ये आँचल, प्यार का ये बादल फिर हमें ज़मीं पे ले चला अब तो हाथ थाम लो, इक नज़र का जाम दो इस नये सफ़र का वस्ता तुम मेरे साक़िया रे प्यार का राग सुनो रे, ऊ ऊ ऊ   ...

ओ मेरे, दिल के चैन, चैन आए मेरे दिल को दुआ कीजिये

ओ मेरे, दिल के चैन, चैन आए मेरे दिल को दुआ कीजिये अपना ही साया देख के तुम जाने जहाँ शरमा गए अभी तो ये पहली मंज़िल है, तुम तो अभी से घबरा गए मेरा क्या होगा, सोचो तो जरा हाय ऐसे ना आँहें भरा कीजिये ओ मेरे दिल के चैन ... आपका अरमाँ आपका नाम, मेरा तराना और नहीं इन झुकती पलको के सिवा, दिल का ठिकाना और नहीं जंचता ही नहीं आँखो में कोई दिल तुमको ही चाहे तो क्या कीजिये ओ मेरे दिल के चैन ... यूँ तो अकेला ही अक़सर, गिर के सम्भल सकता हूँ मैं तुम जो पकड़ लो हाथ मेरा, दुनिया बदल सकता हूँ मैं मांगा है तुम्हें दुनिया के लिये अब ख़ुद ही सनम फ़ैसला कीजिये ओ मेरे दिल के चैन ...

पर्दे में रहने दो, पर्दा न उठाओ

पर्दे  में रहने दो, पर्दा न उठाओ पर्दा जो उठ गया तो भेद खुल जायेगा अल्लाह मेरी तौबा, अल्लाह मेरी तौबा   ... मेरे पर्दे  में लाख जलवे हैं कैसे मुझसे नज़र मिलाओगे जब ज़रा भी नक़ाब उठाऊँगी याद रखना की, जल ही जाओगे पर्दे  में रहने दो, पर्दा न उठाओ  ... हुस्न जब बेनक़ाब होता है वो समाँ लाजवाब होता है खुद को खुद की खबर नहीं रहती होश वाला भी, होश खोता है पर्दे  में रहने दो, पर्दा न उठाओ ... हाय जिसने मुझे बनाया है, वो भी मुझको समझ न पाया है मुझको सजदे किये हैं इन्साँ ने इन फ़रिश्तों ने, सर झुकाया है पर्दे  में रहने दो, पर्दा न उठाओ  ...

हम छोड़ चले हैं महफ़िल को याद आये कभी तो मत रोना

हम छोड़ चले हैं महफ़िल को याद आये कभी तो मत रोना इस दिल को तसल्ली दे देना, घबराये कभी तो मत रोना हम छोड़ चले हैं महफ़िल को   ... एक ख़्वाब सा देखा था हमने जब आँख खुली वो टूट गया ये प्यार अगर सपना बनकर तड़पाये कभी तो मत रोना हम छोड़ चले हैं महफ़िल को तुम मेरे ख़यालों में खोकर बरबाद न करना जीवन को जब कोई सहेली बात तुम्हें समझाये कभी तो मत रोना हम छोड़ चले हैं महफ़िल को   ... जीवन के सफ़र में तनहाई मुझको तो न ज़िन्दा छोड़ेगी मरने की खबर ऐ, जान\-ए\-जिगर मिल जाये कभी तो मत रोना हम छोड़ चले हैं महफ़िल को   ...

देखो मैं ने देखा है यह इक सपना

अ:  देखो मैं ने देखा है यह इक सपना     फूलों के शहर में है घर अपना     क्या समा है तू कहाँ है ल: मैं आई आई आई आई अ:  आ जा ल: कितना हसीन है यह इक सपना     फूलों के शहर में है घर अपना     क्या समा है तू कहाँ है अ:  मैं आया आया आया आया ल: आ जा अ:  यहाँ तेरा मेरा नाम लिखा ल: रस्ता नहीं यह आम लिखा है अ:  हो, यह है दरवाज़ा तू जहाँ खड़ी है ल: अन्दर आ जाओ सर्दी बड़ी है अ:  यहाँ से नज़ारा देखो पर्वतों का ल: झाँकूँ मैं कहाँ से कहाँ है झरोखा अ:  यह यहाँ है, तू कहाँ है ल: मैं आई आई आई ... ल: अच्छा यह बताओ कहाँ पे है पानी अ:  बाहर बह रहा है झरना दीवानी ल: बिजली नहीं है यही इक ग़म है अ:  तेरी बिंदिया क्या बिजली से कम है ल: छोड़ो मत छेड़ो बाज़ार जाओ अ:  जाता हूँ जाऊँगा पहले यहाँ आओ     शाम जवाँ है तू कहाँ है ल: मैं आई आईइ आई ... ल: कैसी प्यारी सी है यह छोटी सी रसोई     हो हम दोनों  हैं बस दूजा नहीं कोई     इस कमरे में होंगी मीठी बातें अ:  उस कमरे में गुज़रेंगी रातें ल: यह तो बोलो होगी कहाँ पे लड़ाई अ:  मैं ने वह जगह ही नहीं बनाई     प्यार यहाँ है तू कहाँ है ल: मैं आई आई आई

तेरी पायल मेरे गीत, तू सरगम है मैं संगीत \- २

तेरी पायल मेरे गीत, तू सरगम है मैं संगीत \- २ तेरी पायल मेरे गीत गोरा मुखड़ा चंचल बिंदिया सपने देखे ले गयी निंदिया आ ... गोरा मुखड़ा चंचल बिंदिया सपने देखे ले गयी निंदिया मन की हार है प्यार की जीत \- २ तेरी पायल मेरे गीत एक पल मिलके झुक गये नैना \- २ तीर चलाके रुक गये नैन \- २ घायल मनवा पागल प्रीत \- २ तेरी पायल मेरे गीत \- २ चार दिनों की रुत है जवानी प्यार की दे दे कोई निशानी आ ... चार दिनों की रुत है जवानी प्यार की दे दे कोई निशानी देख ये रुत ना जाये बीत \- २ तेरी पायल मेरे गीत तू सरगम है मैं संगीत तेरी, पायल, तेरी पायल मेरे गीत तेरी पायल ग म प ग म प नि स प नि स रे स रे स रे स रे स तेरी पायल नि स ग म प म ग स  ... थ न दि रे न ... स ग म प नि नि स ... स ग म प नि नि स ... आ ...

होठों से छू लो तुम मेरा गीत अमर कर दो

होठों से छू लो तुम मेरा गीत अमर कर दो बन जाओ मीत मेरे मेरी प्रीत अमर कर दो ना उम्र की सीमा हो, ना जन्म का हो बंधन जब प्यार करे कोई तो देखे केवल मन नई रीत चलाकर तुम ये रीत अमर कर दो आकाश का सूनापन मेरे तनहा मन में पायल छनकाती तुम आ जाओ जीवन में साँसे देकर अपनी संगीत अमर कर दो जग ने छिना मुझसे, मुझे जो भी लगा प्यारा सब जीता किये मुझसे, मैं हर दम ही हारा तुम हार के दिल अपना, मेरी जीत अमर कर दो

करके मोहब्बत अपनी खता हो.. ऐसा भी हो सकता है..

करके मोहब्बत अपनी खता हो.. ऐसा भी हो सकता है.. वोह अब भी पाबंद-ए-वफ़ा हो.. ऐसा भी हो सकता है.. दरवाजे पर आहट सुनके उसकी तरफ़ ध्यान क्यूं गया.. आने वाली सिर्फ़ हवा हो.. ऐसा भी हो सकता है.. वोह अब भी पाबंद-ए-वफ़ा हो.. ऐसा भी हो सकता है.. अर्ज़-ए-तलब पे उसकी चुप से ज़ाहिर है इंकार मगर.. शायद वो कुछ सोच रहा हो.. ऐसा भी हो सकता है.. वोह अब भी पाबंद-ए-वफ़ा हो.. ऐसा भी हो सकता है.. खून-ए-तमन्ना करना उसका शेवा है मंज़ूर मगर.. हांथ मे उसके रंग-ए-हिना हो.. ऐसा भी हो सकता है.. वोह अब भी पाबंद-ए-वफ़ा हो.. ऐसा भी हो सकता है.. करके मोहब्बत अपनी खता हो.. ऐसा भी हो सकता है.. वोह अब भी पाबंद-ए-वफ़ा हो.. ऐसा भी हो सकता है..

जीना.. तेरे बिना जीना.. मौत लगे.. हम तो जिये तेरे बिन..

जीना.. तेरे बिना जीना.. मौत लगे.. हम तो जिये तेरे बिन.. आजा अब तो आजा, तू कहीं से.. ये इल्तजा ले तू सुन.. तेरे बिना जीना कुछ भी नहीं.. दिल मेरा हर जगह.. बस तुझे ढूंढें यार.. झील, पर्वत, हवायें हैं मेरे गवाह.. शामें हों या सुबह.. हम तुझे ढूढें यार.. आते-जाते ये मौसम हैं सारे गवाह.. जरा बता रहे.. तेरे बिना जीना कुछ भी नहीं.. जीना.. तेरे बिना जीना.. मौत लगे.. हम क्यूं जियें तेरे बिन.. ये मेहफ़िल, मस्तियां सब तेरे बिन उदास.. सिर्फ़ तन्हाइयां हैं.. जायें जहां.. हां ये शहर, बस्तियां सब तेरे बिन उदास.. सिर्फ़ वीरानियां हैं.. जायें जहां.. जरा बता रहे.. तेरे बिना जीना कुछ भी नहीं.. जीना.. तेरे बिना जीना.. मौत लगे.. हम क्यूं जियें तेरे बिन.. दिल मेरा पागल याद में तेरी.. खोया रहे हर दम.. बिन तेरे जीना है नहीं आसां, ना है मुम्किन मेरा मरना.. जरा बता रहे.. तेरे बिना जीना कुछ भी नहीं.. जीना.. तेरे बिना जीना.. मौत लगे.. हम तो जिये तेरे बिन.. आजा अब तो आजा तू कहीं से.. ये इल्तजा ले तू सुन..

मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं..

मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं.. तुम मत मेरी मंजिल आसान करो.. हैं फ़ूल रोकते, काटें मुझे चलाते.. मरुस्थल, पहाड चलने की चाह बढाते.. सच कहता हूं जब मुश्किलें ना होती हैं.. मेरे पग तब चलने मे भी शर्माते.. मेरे संग चलने लगें हवायें जिससे.. तुम पथ के कण-कण को तूफ़ान करो.. मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं.. तुम मत मेरी मंजिल आसान करो.. अंगार अधर पे धर मैं मुस्काया हूं.. मैं मर्घट से ज़िन्दगी बुला के लाया हूं.. हूं आंख-मिचौनी खेल चला किस्मत से.. सौ बार म्रत्यु के गले चूम आया हूं.. है नहीं स्वीकार दया अपनी भी.. तुम मत मुझपर कोई एह्सान करो.. मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं.. तुम मत मेरी मंजिल आसान करो.. शर्म के जल से राह सदा सिंचती है.. गती की मशाल आंधी मैं ही हंसती है.. शोलो से ही श्रिंगार पथिक का होता है.. मंजिल की मांग लहू से ही सजती है.. पग में गती आती है, छाले छिलने से.. तुम पग-पग पर जलती चट्टान धरो.. मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं.. तुम मत मेरी मंजिल आसान करो.. फूलों से जग आसान नहीं होता है.. रुकने से पग गतीवान नहीं होता है.. अवरोध नहीं तो संभव नहीं प्रगती भी.. है न

पेहली नज़र में.. कैसा जादू कर दिया..

पेहली नज़र में.. कैसा जादू कर दिया.. तेरा बन बैठा है, मेरा जिया.. जाने क्या होगा.. क्या होगा.. क्या पता.. इस पल को मिलके.. आ जी ले ज़रा.. मैं हूं यहां.. तू है यहां.. मेरी बाहों मैं आ.. आ भी जा.. ओ जानेजां.. दोनो जहां.. मेरी बाहों मैं आ.. भूलजा.. हर दुआ मे शामिल तेरा प्यार है.. बिन तेरे लम्हा भी दुशवार है.. धड्कनों को तुझसे ही दरकार है.. तुझसे हैं राहतें.. तुझसे है चाहतें.. तू जो मिली एक दिन मुझे.. मैं कहीं हो गया लापता.. ओ जानेजां.. दोनो जहां.. मेरी बाहों मैं आ.. भूलजा.. कर दिया दीवाना दर्द-ए-कश ने.. चैन छीना इश्क के एह्सास ने.. बेख्याली दी है तेरी प्यास ने.. छाया सुरूर है.. कुछ तो ज़रूर है.. ये दूरियां जीने ना दें.. हाल मेरा तुझे ना पता.. ओ जानेजां.. दोनो जहां.. मेरी बाहों मैं आ.. भूलजा..

उन लम्हों को कैसे ज़िन्दा करूं..

तेरी यादें.. उन लम्हों को कैसे ज़िन्दा करूं.. सांसें मैं लूं फ़िर भी पल-पल मरूं.. यादें.. यादें.. यादें.. तेरी यादें.. यादें.. यादें.. बातें.. बातें.. बातें.. तेरी.. बातें.. बातें.. बातें.. हल्की सी आहट हो तो लगे तुम आगये.. क्यूं तन्हा छोडकर मुझको रुला गये.. महफ़ूज़ है तू मेरी हर एक याद मैं.. बिखरा हुआ.. हुआ हूं बरबाद मैं.. यादें.. यादें.. यादें.. तेरी यादें.. यादें.. यादें.. बातें.. बातें.. बातें.. तेरी.. बातें.. बातें.. बातें.. मेहरूम हूं मैं तेरी हर एक बात से.. ना कोई नाता.. अब दिन और रात से.. हर लम्हा तड्प, हर लम्हा तेरी प्यास है.. जब से मैं हूं जुदा तेरे साथ से.. यादें.. यादें.. यादें.. तेरी यादें.. यादें.. यादें.. बातें.. बातें.. बातें.. तेरी.. बातें.. बातें.. बातें.. उन लम्हों को कैसे ज़िन्दा करूं.. सांसें मैं लूं फ़िर भी पल-पल मरूं..

अभी-अभी तो आये हो, अभी-अभी तो…

फिल्म: हम दोनों. अभी-अभी तो आये हो, अभी-अभी तो… अभी-अभी तो आये हो.. बहार बन के छाए हो… हवा ज़रा महक तो ले… नज़र ज़रा बहेक़ तो ले… यह शाम ढल तो ले ज़रा… यह दिल संभल तो ले ज़रा… मैं थोड़ी देर जी तो लूं… नशे के घूँट पी तो लूं… अभी तो कुछ कहा नहीं… अभी तो कुछ सुना नहीं… अभी ना जाओ छोड़ कर… के दिल अभी भरा नहीं… बुरा ना मानो बात का… यह प्यार है गिला नहीं… अधूरी आस छोड़ के… अधूरी प्यास छोड़ के… जो रोज़ यू ही जाओगे… तो किस तरह निभाओगे… यह ज़िन्दगी की राह मे… जवां दिलों की चाह मे… कई मकाम आयेंगे… जो हमको आजमाएंगे… बुरा ना मानो बात का… यह प्यार है गिला नहीं… नहीं… नहीं… नहीं… नहीं…  के दिल अभी भरा नहीं… अभी ना जाओ छोड़ कर… के दिल अभी भरा नहीं… :-)

ओ दिल तोड़ के हंसती हो मेरा वफाये मेरी याद करोगी

बिखरी बिखरी झुल्फें तेरी पसीना माथे पर हे  सच तो ये हे तुम घुस्से मै और भी प्यारे लगते हो   रांहे ताकना तारे गिनना सादिक काम हमारा हे  आज मगर क्या बात हे तुम भी जागे जागे लगते हो   ओ दिल तोड़ के हंसती हो मेरा वफाये मेरी याद करोगी 2 जब दुनिया मै ओ जब दुनिया मै मै ना रहा तो किसे बर्बाद करोगी   ओ दिल तोड़ के हंसती हो मेरा वफाये मेरी याद करोगी   तेरा दिल कोई जब भी दुखायेगा याद तुझको ये मेरा प्यार आयेगा   ओ तेरे दिल वाले टूटे जब तार   तो रो के फ़रियाद करोगी ओ दिल तोड़ के हंसती हो मेरा   वफाये मेरी याद करोगी   शुक्रिया मगर आपकी नवाजिशों का गम की दौलत मुझे अता कर दी तुने हंस हंस के इन्तिहाँ की थी मैंने रो रो के इन्तिहाँ कर दी   मेहंदी प्यार वाले हाथों मै लगोगी घर मेरे बाद गैर का बसाओगी ओ मुझे मरने से ओ मुझे मरने से पहले ही यकीं था ये काम मेरे बाद करोगी   ओ दिल तोड़ के हंसती हो मेरा वफाये मेरी याद करोगी  जब दुनिया मै ओ जब दुनिया मै मै ना रहा तो किसे बर्बाद करोगी   ओ दिल तोड़ के हंसती हो मेरा वफाये मेरी याद करोगी

तुझे भूलना तो चाहा लेकिन भुला न पाये

तुझे भूलना तो चाहा , लेकिन भुला न पाये जितना भुलाना चाहा-जितना भुलाना चाहा , तुम उतना याद आये , तुझे भूलना तो चाहा , लेकिन भूला न  पाये तूने कदर न जानी अनमोल चाह्तों का खाया है मैंने धोखा तुझसे मोहब्बतों का अल्लाह करे ये धोखा , अल्लाह करे ये धोखा तू भी किसी से खाये तुझे भूलना तो चाहा , लेकिन भूला न  पाये गुजरे जमाने संगदिल  देखी न तेरी सूरत  दिल कोसता रहे हैं ,  तेरे प्यार की जरुरत  हाय आके याद तेरी मेरी नींद रुठ जाये  तुझे भूलना तो चाह लेकिन भुला न  पाये मेरे दिल में रह गए हैं  अरमाँ मचल-मचल कर , अरमाँ मचल-मचलकर  , खुशियों के सारे सामां , अश्कों में बह गये हैं आने का वायदा करके , आने का वायदा करके तुम लौट के न आये  तुझे ऐ फूर्कतों तुम्हारा है मजा ही कुछ निराला  ऐ फूर्कतों तुम्हारा है मजा ही कुछ निराला  देकर लहू जिगर का ये रोग मैंने पाला सादिक जहाँ में ऐसा सादिक जहाँ में ऐसा कोई रोग न लगायें  तुझे भूलना तो चाहा लेकिन भुला न  पाये

मुझको दफना कर वो जब वापस जायेगे साथ रकीबों के वो जश्न मनाएगे

मुझको दफना कर वो जब वापस जायेगे  साथ रकीबों के वो जश्न मनाएगे   मुझको दफना कर वो जब वापस जायेगे  साथ रकीबों के वो जश्न मनाएगे   मेरी मौत का जश्न मना कर मेरे प्यार की खाक बना कर   अपनी आदत से वो बाज़ न आयेंगे  आज रकीबों का वो दिल बहलाएँगे   मुझको दफना कर वो जब वापस जायेगे  साथ रकीबों के वो जश्न मनाएगे   है ये जग की रीत पुरानी मिले प्यार में ज़ख्म निशानी   उस बेवफा ने मुझे बर्बाद ही कर डाला  मुझको ज़िन्दगी से आज़ाद ही कर डाला   मुझको दफना कर वो जब वापस जायेगे  साथ रकीबों के वो जश्न मनाएगे   दिल मेरा टूट गया है बेदर्दी रूठ गया है  लाश पे रोने वालों जरा उनको मना लाओ   लाश पे रोने वालों जरा उनको मना लाओ  आखरी बार उनकी मुझे शकल दिखा जाओ   मुझको दफना कर वो जब वापस जायेगे  साथ रकीबों के वो जश्न मनाएगे   जब डोरी सांस की टूटी जब सादिक दुनिया रूठी   मेरे होठों पे तो उसका ही था यारो  लाश पे नई आया वो बड़ा बेवफा यारो   मुझको दफना कर वो जब वापस जायेगे  साथ रकीबों के वो जश्न मनाएगे  मुझको दफना कर वो जब वापस जायेगे  साथ रकीबों के वो जश्न मनाएगे

दर्द तो रुकने का अब नाम नहीं लेता है सब्र से दिल भी मेरा काम नहीं लेता है

दर्द तो रुकने का अब नाम नहीं लेता है सब्र से दिल भी मेरा काम नहीं लेता है जबसे बक्शे है आँखों को आंसू तुने तबसे दीवाना दिल आराम नहीं लेता है सब्र से दिल भी मेरा काम नहीं लेता है इतना संग दिल है के बर्बाद वो करके मुझको आपने सर कोई भी इलज़ाम नहीं लेता है सब्र से दिल भी मेरा काम नहीं लेता है ये इनायत भी नहीं कम मेरे हरजाई की ज़ख़्म देता है मगर दाम नहीं लेता है सब्र से दिल भी मेरा काम नहीं लेता है दर्द तो रुकने का अब नाम नहीं लेता है सब्र से दिल भी मेरा काम नहीं लेता है

मैं दुनियां तेरी छोड़ चला-3 जरा सूरत तो दिखला जाना दो आँसू लेके आँखों में-2 तुम लाश पे मेरी आ जाना

मैं दुनियां तेरी छोड़ चला- 3 जरा सूरत तो दिखला जाना दो आँसू लेके आँखों में- 2 तुम लाश पे मेरी आ जाना मैं दुनियां तेरी छोड़ चला , जरा … तेरी राहें देखते देखते ही सांसों की डोरी टूट गई मुझे प्यार तुम्हारा मिल ना सका मेरे दिल की नगरी लुट गई कहीं खबर न हो जाए दुनिया को- 2 मुझे चुपके से दफना जाना मैं दुनिया तेरी … गैरों का दामन थाम बैठे , तुम भूल के प्यार गरीबों का तेरी दीद की नजरें प्यासी हैं अब छोड़ दो साथ नकाबों का मैं आखिर तेरा आशिक हूँ- 2 आँखों की प्यास बुझा जाना मैं दुनिया तेरी छोड़ चला.... जरा मुझे मालूम है संगादिल तुझे इस बात का डर है कि तेरी बेवफाई का चर्चा मैं आम कर दूंगा न आयेगा रुकीबों के तसब्बर में कभी ' सादिक ' मैं अपने नाम को कुछ इस तरह गुमनाम कर दूंगा अब खाक में मिल जाए खाक मेरी जब तुमसे जुदा मैं हो जाऊँ जब हो जाए मय्यत दफन मेरी जब गहरी नींद में सो जाऊँ तुम आकर मेरी तरबत पे- 2 एक प्यार का दीप जला जाना , मैं दुनिया तेरी........ मेरी लहद से हो जब गुजर तेरा कुछ देर जरा तुम रुक जाना जरा हाथ उठाकर संगदिल तुम आँखों से मोती बरसाना फि

दोनों को आ सकी न निभानी मुहब्बत 2 अब पड़ रही है हमको भुलानी मुहब्बत,

" जमाना ' कुछ भी कहे , उसका एहतराम न कर 2 जिसे जमीर न माने -उसे सलाम न कर शराब पीकर बहकना है , तो उसे न ही 2 हलाल चीज का इस तरह से हराम न कर" दोनों को आ सकी न निभानी मुहब्बत 2 अब पड़ रही है हमको भुलानी मुहब्बत , दोनों … किन 2 रिफाकतों से दिए बासी मुहब्बत मगर 2 उसकी न याद आई पुरानी मुहब्ब्त् …2 दोनों को गुजरती रुतों के जख्त अभी तक भरे नही 2 फिर और क्यो किसी को पढ़नी मुहब्बत- 2 अब -हमने तो करवटों में जवानी गुजार दी , हसरत से दर्द गैर का दर देखते रहे बस पशे रकाब का मंजूर न पूछिए , क्या देखना था अपना जिगर देखते रहे इस पर दरे फरेव है क्या इनका एतवार 2 ये प्यार खुशनसीब पुरानी मुहब्बत- 2 अब जाने वो कौन से रास्ते से आए घर 2 हर सुखों का अपना अपने साथ लाया है , मुहब्बत जानू तन्हा मेरे हिस्से में आया है , मोहब्बत इब्बत मेरी मोहब्बत इन्तहा मेरी , मोहब्बत से एकराब है वफा फना मेरी। मोहब्बत आरजू मेरी मोहब्बत जुस्तजू मेरी , मोहब्बत खामोशी मेरी , मोहब्बत गुफ्तगू मेरी- 2 मुहब्बत ही मेरी ताकत , मोहब्बत ही जवानी है - 2 मुहब्बत हो न वीरान , मेरी जिन्दगानी है जाने वो

इश्क में हम तुम्हे क्या बताये किस कदर चोट खाए हुवे है,

इश्क में हम तुम्हे क्या बताये किस कदर चोट खाए हुवे है , मौत ने हम को मारा है और हम जिंदगी के सताए हुवे हैं , पहन कर शादी का जोड़ा उसने सिर्फ़ चूमा था मेरे कफ़न को , बस उसी दिन से जन्नत की हूरें मुझको दूल्हा बनाये हुवे है , सुर्ख आंखों में काजल लगा है मुख पे वादा सजाये हुवे है , ऐसे आए है मय्यत पे मेरी जैसे शादी में आए हुवे है , ऐ लहद अपनी मट्टी से कहदे दाग लगने नपाये कफ़न को आज ही हमने बदले है   कपड़े आज ही हम नहाए हुवे हैं , बिखरी जुल्फें परेशान चेहरा अश्क आँखों में आए हुवे है ,   ए काजल ठहर जा चंद लम्हे वोह इबादत को आए हुवे है , दफ़न के वक्त सब दोस्तों ने यह चुकाया मोहब्बत का बदला ,   फैक दी ख़ाक मेरे बदन पर यह न सोंचा नहाय हुवे है , उनकी तारीफ़ क्या पूछते हो उम्र सारी गुनाहों में गुजरी ऐसे ,   मासूमियत से है बैठे ऐसे जैसे की गंगा में नहाए हुवे है , जिंदगी में न रास आई राहत चैन से अब सोने दो कफ़न में ,   ए फरिश्तो तुम तो न मारो हम तो इस जहाँ के सताए हुवे है , खोयी खोयी सी बेचैन आँखे बेक़रारी है चेहरे पे छाई , छोड़ दो देना झूठी तसल्ली इश्क की चोट खाए हुवे है .......

अस्कोँ के लेके धारे बेआस बेसहारे लो कूच कर रहे हैँ हम शहर से तुम्हारे।

रास्ते खुद ही तबाही के निकाले हमने कर दिया दिल किसी पत्थर के हवाले हमने हमको मालूम है क्या शह है मुहब्बत लोगो अपना घर फूँक के देखे उजाले हमने अश्कोँ के लेके धारे अश्कोँ के लेके धारे बेआस बे सहारे लो कूँच कर रहे हैँ हम शहर से तुम्हारे ये तेरा जुल्म है या तकदीर के सितम हैँ कैसे तुम्हे बताएँ कितने उदास हम हैँ तूफां मेँ घिरे हैँ मिलते नही किनारे अश्कोँ के लेके धारे   बेआस बे सहारे लो कूँच कर रहे हैँ हम शहर से तुम्हारे तेरे मरीज ए गम की नब्ज भी थम रही है 2 अब मौत धीरे धीरे शरहले जम रही है इस हाल ए बेकशी मेँ कोई क्या तुम्हे पुकारे अस्कोँ के लेके धारे......... कोई कह दे ये मुहब्बत के खरीदारोँ से प्यार वो सह है जो मिलती नही बजारोँ से हम तो पहले ही मुहब्बत मेँ जले हुए बैठे हैँ क्यो डराते हो दहकते हुए अंगारोँ से नफरत की भीड़ मेँ हम कुछ ऐसे घिर गये हैँ - 2- हम मौत से ही पहले बेमौत मर गये हैँ हैँ डर के सौख सदमे तकदीर के सितारे अस्कोँ के लेके धारे बेआस बेसहारे लो कूच कर रहे हैँ हम शहर से तुम्हारे।

उठो धरा के अमर सपूतो

दोस्तो ये कविता हमने पता नहीं कौन सी क्लास में पढी उठो धरा के अमर सपूतो पुनः नया निर्माण करो । जन-जन के जीवन में फिर से नई स्फूर्ति, नव प्राण भरो । नया प्रात है, नई बात है, नई किरण है, ज्योति नई । नई उमंगें, नई तरंगे, नई आस है, साँस नई । युग-युग के मुरझे सुमनों में, नई-नई मुसकान भरो । डाल-डाल पर बैठ विहग कुछ नए स्वरों में गाते हैं । गुन-गुन-गुन-गुन करते भौंरे मस्त हुए मँडराते हैं । नवयुग की नूतन वीणा में नया राग, नवगान भरो । कली-कली खिल रही इधर वह फूल-फूल मुस्काया है । धरती माँ की आज हो रही नई सुनहरी काया है । नूतन मंगलमयी ध्वनियों से गुंजित जग-उद्यान करो । सरस्वती का पावन मंदिर यह संपत्ति तुम्हारी है । तुम में से हर बालक इसका रक्षक और पुजारी है । शत-शत दीपक जला ज्ञान के नवयुग का आह्वान करो । उठो धरा के अमर सपूतो, पुनः नया निर्माण करो ।

ग़रीबी की रेखा

कविता घास काटकर नहर के पास,  कुछ उदास-उदास सा चला जा रहा था गरीबदास।  कि क्या हुआ अनायास... दिखाई दिए सामने दो मुस्टंडे, जो अमीरों के लिए शरीफ़ थे पर ग़रीबों के लिए गुंडे।  उनके हाथों में तेल पिए हुए डंडे थे,  और खोपड़ियों में हज़ारों हथकण्डे थे। बोले- ओ गरीबदास सुन ! अच्छा मुहूरत है अच्छा सगुन।  हम तेरे दलिद्दर मिटाएंगे,  ग़रीबी की रेखा से ऊपर उठाएंगे।  गरीबदास डर गया बिचारा,  उसने मन में विचारा- इन्होंने गांव की कितनी ही लड़कियां उठा दीं।  कितने ही लोग  ज़िंदगी से उठा दिए अब मुझे उठाने वाले हैं, आज तो भगवान ही रखवाले हैं।  -हां भई गरीबदास चुप क्यों है ? देख मामला यों है  कि हम तुझे  ग़रीबी की रेखा से ऊपर उठाएंगे,  रेखा नीचे रह जाएगी तुझे ऊपर ले जाएंगे।  गरीबदास ने पूछा- कित्ता ऊपर ? -एक बित्ता ऊपर पर घबराता क्यों है ये तो ख़ुशी की बात है,  वरना क्या तू और क्या तेरी औक़ात है ? जानता है ग़रीबी की रेखा ? -हजूर हमने तो  कभी नहीं देखा।  -हं हं, पगले,  घास पहले नीचे रख ले। गरीबदास ! तू आदमी मज़े का है,  देख सामने देख वो ग़रीबी की रेखा है। -कहां है हजूर ? -वो कहां है हजूर ? -वो देख,  सा