मेरा फ्वां बागा रे
मेरा फ्वां बागा रे: एक प्रसिद्ध गढवाली लोक गीत जिन लोगो ने साठ और सहतर के दशक में दिल्ली से या लखनौ से कोटद्वार का सफर रेल से किया हो तो उन्हें याद होगा कि कोटद्वार और नजीबाबाद रेलवे स्टेसन पर उन्हें एक सूरदास जी मिलते थे जो लोक गीत सुनाकर यात्रियों का भरपूर मनोरंजन करते थे . मैस्वाग बाग़ लगने पर उनके द्वारा सुनाया गया यह लोक गीत आपको पसंद भी आयेगा और लोक गीतों में संघर्ष व हास्य किस तरह मिला-जुला होता है का ज्ञान भी देगा . मुंबई में इस लोक गीत को श्री चन्द्र सिंग राही ने प्रसिद्धी दिलाई थी . श्री राजेन्द्र धष्माणा ने को अपने प्रसिद्ध नाटक 'अर्ध ग्रामेश्वर ' में कोटद्वार स्टेसन का वातवरण पैदा करने हेतु प्रसिद्ध 'फ्वां बागा रे ' लोक गीत का इस्तेमाल किया. धष्माणा द्वारा इस प्रसिद्ध लोक गीत को इस्तेमाल करने का अर्थ है कि लोक गीत हमारे हृदय में बसे हैं. मेरा फ्वां बागा रे: एक प्रसिद्ध गढवाली लोक गीत बल मरसा को टैर --- मरसा को टैर -गढवाळ मा बाग़ लगी , बाग़ अ कि ह्व़े डैर -मेरा फ्वां बागा रे बल गुठयारो को की