बात जब हुन्दी म्यार पहाड़ों की


गढवाली लोकगीत कुमाँऊनी लोकगीत कविता कोश हिन्दी कविताएँ




बात जब हुन्दी म्यार पहाड़ों की 

बात जब हुन्दी म्यार पहाड़ों की 
याद आंदी मीथै म्यार डणडीयों की
पाय बटा चल दी म्यार दागडीयूं की
खूंटी मा कांटा चुब्याँ म्यार बाणु की

बात जब हुन्दी म्यार गाँव की
याद आंदी मीथै म्यार घरा की
चुल्हू जलन्दी बोई गुड गुड करता बाबा
नन्ह भुला भूली की रोई

बात जब हुन्दी म्यार छनी की
याद आंदी मीथै म्यार गुरउनो की
लाल्या कल्य बल्दों की जोड़ी
खाकरालो घीयु दूध को छारो की

बात जब हुन्दी म्यार पुंगडी की
याद आंदी मीथै सरियुं की
कौओद धन प्याज की बाडी
लग्दन हुन्द जब मेरी बुअडी

बात जब हुन्दी म्यार पंतेंदर की
याद आंदी मीथै ओं गीचों बोली की
गद्न्युन का माछा हीशोल का डाला
मन की प्याश बुझंद ठण्डु मीठू पाणी

बात जब हुन्दी म्यार गडवाल की
याद आंदी मीथै चन्द्र सिहँ गड्वाली की
ओ सपूतों को करदों नमन
उनका चारणु चढ़ दू पुष्प सुमन

बात जब हुन्दी म्यार भारत की
याद आंदी मीथै म्यार उत्तराखंड की
शहीद पुछाण च मी थै आजा
गैरसैण राजधानी कब बाणण

बात जब हुन्दी म्यार पहाड़ों की
याद आंदी मीथै म्यार डणडीयों की
पाय बटा चल दी म्यार दागडीयूं की
खूंटी मा कांटा चुब्याँ म्यार बाणु की

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

हे मेरी आंख्यूं का रतन बाला स्ये जादी, बाला स्ये जादी

लायुं छो भाग छांटी की देयुं छो वेकु अन्जोल्युन न

जय बद्री केदारनाथ गंगोत्री जय जय जमुनोत्री जय जय