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तू छे बांद जोनसार की ....

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सतपुली, कोटद्वार , न रामनगर बाज़ार ... सतपुली, कोटद्वार , न रामनगर बाज़ार ... न देहरादून, चमोली, टेहरी गंगा पार की .. तू छे बांद जोनसार की ...जोंसार की .. भली बांद जोनसार की ..जोंसार की .. नारंगी सोली जनि रसदार छे तू फ्योली बुरांसी जनि रंगदार छे आहा .. नारंगी सोली जनि रसदार छे तू फ्योली बुरांसी जनि रंगदार छे आहा .. मीठू के बुलाणु.. खित हैंस जानू .. जन तीर तलवार दठुले की धार सी .. तू छे बांद जोनसार की ..जोनसार की ... **तू छे बांद जोनसार की ..जोनसार की ... **भली बांद जोनसार की ..जोनसार की .. देखि त्वे थे कभी ज्यू नि भारेन्दा.. तवे थे देख्या बगेर भी नि रएंदा .. हथुने सी फ्योली नयी नयी सी ब्योली ... भरी जोत्सार बसंत बहार सी .. तू छे बांद जोनसार की ....

रीधी को सुमिरों सीधी को सुमिरों, सुमिरों शारदा माई

रीधी को सुमिरों सीधी को सुमिरों, सुमिरों शारदा माई अर्र सुमिरों गुरु अविनाशी को सुमिरों किशन कन्हाई रीधी को सुमिरों सिधी को सुमिरों, सुमिरों शारदा माई अर्र सुमिरों गुरु अविनाशी को सुमिरों किशन कन्हाई सदा अमर या धरती नि रैणी मेघ पड़े टुटी जाई सदा अमर या धरती नि रैणी मेघ पड़े टुटी चई अमर नि रैंदा सूरज छुछा ग्रहण लगे छिपी जाई माता रोये जन्म-जन्म को बैणी रोये छै मासा माता रोये जन्म-जन्म को बैणी रोये छै मासा त्रिया रोये डेढ़ घड़ी को आन करे घरवासा ना घर ना घर मेरा चिड़िया रैन बसेरा ना घर ना घर मेरा चिड़िया रैन बसेरा हाथी घोड़ा कुटुंब कबीला रे चला चली का फेरा सुन ले रे बेटा गोपीचंद्रजी बात सुनो चित्त लायी सुन ले रे बेटा गोपीचंद्रजी बात सुनो चित्त लायी झूठी तेरी माया ममता रे कसी माति भरमाई कागज पत्री सब कुछ बाँचे धर्म न बांचे कोई कागज पत्री सब कुछ बाँचे धर्म न बांचे कोई राजघरो कु राजकुवँर छुछा करणी जोग लिखाई रीधी को सुमिरों सिधी को सुमिरों, सुमिरों शारदा माई अर्र सुमिरों गुरु अविनाशी को सुमिरों किशन कन्हाई

मेरे घर आई एक नन्ही परी, एक नन्ही परी

मेरे घर आई एक नन्ही परी, एक नन्ही परी चांदनी के हसीन रथ पे सवार मेरे घर आई ... उसकी बातों में शहद जैसी मिठास उसकी सासों में इतर की महकास होंठ जैसे के भीगे\-भीगे गुलाब गाल जैसे के बहके\-बहके अनार मेरे घर आई ... उसके आने से मेरे आंगन में खिल उठे फूल गुनगुनायी बहार देख कर उसको जी नहीं भरता चाहे देखूँ उसे हज़ारों बार     (२) मेरे घर आई ... मैने पूछा उसे के कौन है तू हंसके बोली के मैं हूँ तेरा प्यार मैं तेरे दिल में थी हमेशा से घर में आई हूँ आज पहली बार मेरे घर आई ...

तेरे बिना ज़िंदगी से कोई, शिकवा, तो नहीं, शिकवा नहीं

  लता: तेरे बिना ज़िंदगी से कोई, शिकवा, तो नहीं, शिकवा नहीं शिकवा नहीं, शिकवा नहीं तेरे बिना ज़िंदगी भी लेकिन, ज़िंदगी, तो नहीं, ज़िंदगी नहीं ज़िंदगी नहीं, ज़िंदगी नहीं (काश ऐसा हो तेरे कदमों से, चुन के मंज़िल चले और कहीं दूर कहीं ) \- २ तुम गर साथ हो, मंज़िलों की कमी तो नहीं तेरे बिना ज़िंदगी से कोई, शिकवा, तो नहीं, शिकवा नहीं (जी में आता है, तेरे दामन में, सर छुपा के हम रोते रहें, रोते रहें ) \- २ तेरी भी आँखों में, आँसुओं की नमी तो नहीं किशोर: तेरे बिना ज़िंदगी से कोई, शिकवा, तो नहीं, शिकवा नहीं तेरे बिना ज़िंदगी भी लेकिन, ज़िंदगी, तो नहीं, ज़िंदगी नहीं तुम जो कह दो तो आजकी रात, चांद डूबेगा नहीं, रात को रोक लो रात कि बात है, और ज़िंदगी बाकी तो नहीं तेरे बिना ज़िंदगी से कोई, शिकवा, तो नहीं, शिकवा नहीं तेरे बिना ज़िंदगी भी लेकिन, ज़िंदगी, तो नहीं, ज़िंदगी नहीं

(देखा न हाय रे सोचा न हाय रे रख दी निशाने पे जाँ

(देखा न हाय रे सोचा न हाय रे रख दी निशाने पे जाँ कदमों में तेरे निकले मेरा दिल है बस यही अरमाँ) \- २ डोले डोले डोले अए अए ,डोले डोले डोले अए अए , डोले डोले अए अए आए (मिट जायेंगे मर जायेंगे, काम कोई कर जायेंगे मरके भी चैन ना मिले, तो जायेंगे यारों कहाँ ) \- २ अरे ओहो ... हूँ हूँ हूँ देखा ना हाय ... (क़ातिल है कौन, कहाँअहीं जाये चुप भी तो रहा नहीं जाये बुलबुल है कौन, कौन सय्याद कुछ तो कहो रे मेरि जाँ ) \- २ अरे ओहो ... हूँ हूँ हूँ देखा ना हाय ... (घर से निकले हम खाके क़सम छोड़ेंगे पीछा ना हम सर पे कफ़न बांधे हुए, आये दीवाना यहाँ ) \- २ अरे ओहो ... हूँ हूँ हूँ देखा ना हाय रे सोचा ना हाय रे रख दी निशाने पे जाँ कदमों में तेरे निकले मेरा दिल है बस यही अरमाँ

श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम लोग करें मीरा को यूँ ही बदनाम

श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम लोग करें मीरा को यूँ ही बदनाम साँवरे की बंसी को बजने से काम राधा का भी श्याम वोतो मीरा का भी श्याम १) जमुना की लहरें बंसीबट की छैयां किसका नहीं है कहो कृष्ण कन्हैया श्याम का दीवाना तो सारा बृज धाम लोग करें मीरा को ... २) कौन जाने बाँसुरिया किसको बुलाए जिसके मन भाए वो उसी के गुण गाए कौन नहीं बंसी की धुन का गुलाम राधा का भी ...

तुम्हारी नज़रों में हम ने देखा अजब सी चाहत झलक रही हैं

तुम्हारी नज़रों में हम ने देखा अजब सी चाहत झलक रही हैं तुम्हारे होठों की सुर्खियों से \- २ वफ़ा की शबनम झलक रही हैं तुम्हारी नज़रों ... अजब सी ... हमारी सांसों को छू के देखो तुम्हारी खुशबू महक रही है क़सम खुदा की यक़ीं करलो कहीं भी ना होगा हुस्न ऐसा न देखो ऐसे झुका के पलकें \- २ हमारी नीयत बहक रही हैं तुम्हारी नज़रों ... अजब सी ... तुम्हारी उल्फ़त में जानेजाना हमें मिली थी जो एक धड़कन हमारे सीने में आज तक वो \- २ तुम्हारी धड़कन धड़क रही हैं तुम्हारी नज़रों ... अजब सी ...