बोला भै-बन्धु तुमथें कनु उत्तराखण्ड चयेणुं च


बोला भै-बन्धु तुमथें कनु उत्तराखण्ड चयेणुं च
भावार्थ : बोलो भाइयो तुम्हें कैसा उत्तराखण्ड चाहिये ? लोग जवाब देते हैं – हमें ऐसा उत्तराखण्ड चाहिये जहाँ जात – पात का भेदभाव न हो , ईर्ष्या – गुस्सा न हो और लोगों के बीच इन्सानियत हो।
बोलो बहू- बेटियो तुम्हें कैसा उत्तराखण्ड चाहिये ? महिलाओं की इच्छा है कि उत्तराखण्ड ऐसा बने जिसमें घास-लकड़ी की परेशानी ना हो और जंगलों पर जनता का हक हो। रोजगार के लिये किसी को बाहर ना जान
ा पड़े जिससे सब साथ रहे और अपनों के इन्तजार में किसी का दिल उदास न हो।
बोलिये बुजुर्ग महोदय आपको कैसा उत्तराखण्ड चाहिये ? बुजुर्गों का जवाब है-भई हमें तो ऐसा उत्तराखण्ड चाहिये जहाँ नहरों में पानी हो, खेतों में हरियाली हो बाग-बगीचे, फल – फूल लहलहाये और सभी लोग मेहनतकश हों।
नवयुवकों और बच्चों को सम्बोधित करते हुए पूछा गया है – बोलो नौनिहालो तुम्हारे अनुसार उत्तराखण्ड कैसा होना चाहिये? वो कहते हैं-जहाँ शिक्षा-दीक्षा का उचित प्रबन्ध हो, रोजगार सुलभ हों। कोई आदमी बेरोजगार न बैठा हो और सभी लोग अपनी आजीविका कमायें उत्तराखण्ड ऐसा होना चाहिये।
बोलिये प्रमुख जी आप कैसा उत्तराखण्ड चाहते हैं? प्रमुख जी अपनी इच्छा जाहिर करते हुए कहते हैं- हमारे अनुसार उत्तराखण्ड ऐसा राज्य बने जिसमें हर घर में छोटे-छोटे कुटीर उद्योग हो, दफ्तरों में घूस व भ्रष्टाचार न हो और जिसमें हर गांव का सुनियोजित विकास हो।


गी 

बोला भै-बन्धु तुमथें कनु उत्तराखण्ड च येंणु च
बोला भै-बन्धु तुमथें कनु उत्तराखण्ड चयेंणु च ( कोरस )
हे उत्तराखण्ड्युं तुमथें कनु उत्तराखण्ड चयेंणु च
बोला भै-बन्धु तुमथें कनु उत्तराखण्ड चयेंणु च ( कोरस )
जात न पात हो राग न रीस हो, छोटू न बड़ू क्वै भूको न तीसु हो
जात न पात हो राग न रीस हो, छोटू न बड़ू क्वै भूको न तीसु हो ( कोरस )
मनख्युमां हो मनख्यात, यनुं उत्तराखण्ड चयेणु च
मनख्युमां हो मनख्यात, यनुं उत्तराखण्ड चयेणु च ( कोरस )
बोला बेटि-ब्वारयुं तुमथें कनु उत्तराखण्ड चयेणु च
बोला माँ-बेण्युं तुमथें कनु उत्तराखण्ड चयेणु च ( कोरस )
घास-लखड़ा हों बोंण अपड़ा हों, परदेस क्वै ना जौ सब्बि दगड़ा हों ( महिला स्वर )
घास-लखड़ा हों बोंण अपड़ा हों, परदेस क्वै ना जौ सब्बि दगड़ा हों ( महिला कोरस )
जिकुड़ी ना हो उदास, यनुं उत्तराखण्ड चयेणु च ( महिला स्वर )
जिकुड़ी ना हो उदास , यनुं उत्तराखण्ड चयेणु च ( महिला कोरस )
बोला बोड़ाजी तुमथें कनु उत्तराखण्ड चयेणु च ( कोरस )
बोला काकाजी तुमथें कनु उत्तराखण्ड चयेणु च ( कोरस )
कूळुमा पाणि हो खेतु हैर्याली हो, बाग-बग्वान-फल फूलुकी डारी हो
कूळुमा पाणि हो खेतु हैर्याली हो, बाग- बग्वान-फल फूलुकी डारी हो ( कोरस )
मैंनति हों सब्बि लोग, यनुं उत्तराखण्ड चयेणु च
मैंनति हों सब्बि लोग, यनुं उत्तराखण्ड चयेणु च ( कोरस )
बोला भुलुऔं तुमथें कनु उत्तराखण्ड चयेणु च ( महिला कोरस )
बोला नौल्याळू तुमथें कनु उत्तराखण्ड चयेणु च ( पुरुष कोरस )
शिक्षा हो दिक्षा हो जख रोजगार हो, क्वै भैजी भुला न बैठ्यूं बेकार हो
शिक्षा हो दिक्षा हो जख रोजगार हो, क्वै भैजी भुला न बैठ्यूं बेकार हो ( कोरस )
खाना कमाणां हो लोग यनुं उत्तराखण्ड चयेणु च
खाना कमाणां हो लोग यनुं उत्तराखण्ड चयेणु च ( कोरस )
बोला परमुख जी तुमथें कनु उत्तराखण्ड चयेंणु च ( कोरस )
बोला परधान जी तुमथें कनु उत्तराखण्ड चयेंणु च ( कोरस )
छोट छोटा उद्योग जख घर-घरूँमा हों, घूस न रिस्पत जख दफ्तरमां हो
छोट छोटा उद्योग जख घर-घरूँमा हों, घूस न रिस्पत जख दफ्तरमां हो ( कोरस )
गौ-गौंकू होऊ विकास यनुं उत्तराखण्ड चयेणु च
गौ-गौंकू होऊ विकास यनुं उत्तराखण्ड चयेणु च ( कोरस )
बोला भै- बन्धु तुमथें कनु उत्तराखण्ड चयेंणु च ( कोरस )
हे उत्तराखण्ड्युं तुमथें कनु उत्तराखण्ड चयेंणु च ( कोरस )

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