ओ रुपसा रमोती घुंघुर ना बाजा छम


ओ रुपसा रमोती घुंघुर ना बाजा छम
भावार्थ (पहले संस्करण का) : पहले संस्करण से यह अहसास होता है कि एक जीजा और साली मेले से लौट रहे हैं और साली थोड़ी तेज चल रही है तो जीजा उससे कहता है कि हे रुपसी (रुपवान) रमौती (साली को प्यार से दिया हुआ नाम) तू इतनी तेज घुंघरू बजाते हुए मत चल। अरे रुक जा धीरे धीरे चलते हैं इतनी तेज क्यों चल रही है। अरे घर में मां डांटेगी, चिल्लायेगी..देखों कैसे हल लगाकर धान बोये थे जिन्हें पहले पक्षी खा रहे हैं, उसके बाद किसानों का नम्बर आयेगा और तू इतनी तेज चल रही हैं। (रास्ते में शायद साली किलमोडी (एक पहाड़ी फल) खाने लगी है तो जीजा कहता है)। अरे किलमोड़ी मत खा इसको खाने से जीभ काली हो जायेगी। मैं तेरा इतना रंगीला जीजा हूँ और तू मेरी इतनी सुन्दर साली है। इस तरह घुंघरू मत बजा। अरे घर में मां डांटेगी, चिल्लायेगी..मैं अस्सी रुपये में एक बैल खरीद के लाया जिसकी पूंछ झड़ी हुई है। मेरी प्यारी साली तू थोड़ा धीरे धीरे चल।

ओ रुपसा रमोती घुंघुर ना बाजा छम….
छुमा रुपसा रमोती घुंघुर ना बाजा छम….
छुमा जागी जा, माठु-माठु जौलूँ, किलै जैंछे चम…
छमा रुपसा रमोती, घुंघुर ना बाजा छम्मऽऽऽऽ
दैऽऽऽऽ रुपसाऽऽऽऽऽऽ
मै खै देली, मैं टोकेली हलिया हल बाये, छ्म छ्म बोये धाना
ओ पैली खानी चूहा पंछी फिर खाये किसाना
फिर खाये किसाना दै किहुण कौंछे खण्यूणी द पै घुंघुर ना बाजा छुम छुम
बुड़िये कि ज्वाना, घुंघुर ना बाजा छुम
छुमा बुड़िये कि ज्वाना, घुंघुर ना बाजा छुम
छुमा रुपसा रमोती, घुंघुर ना बाजा छुम
दैऽऽऽऽ रुपसाऽऽऽऽऽऽ
खैमरे की पायी, किलमोड़ी झन खैये गीज होली कायी
गीज होली कायी, मैं तेरो रंगील भिना घुंघुरु ना बाजा छुम छुम
द पै तू रंगीली साई घुंघुर ना बजा छुम
छुमा तू रंगीली साई घुंघुर ना बजा छुम
छुमा रुपसा रमोती, घुंघुर ना बाजा छुम
छुमा रुपसा रमोती, घुंघुर ना बाजा छुम
दैऽऽऽऽ रुपसाऽऽऽऽऽऽ
मै खै देली, मैं टोकेली, ताल को जड़िया अस्सी में बल्द ल्याऊं पुछ्ड़ झड़िया
पुछ्ड़ झड़िया, ख्वार में गागर तेरो पाणी को भरिया
ओ माठु माठु हिट चकोरा घुंघुर ना बाजा छुम
ओ मेरी हौंसिया घुंघुर ना बाजा छुम
छुमा ओ मेरी हौंसिया घुंघुर ना बाजा छुम
छुमा रुपसा रमोती, घुंघुर ना बाजा
Photo: Shayari गढवाली लोकगीत कुमाँऊनी लोकगीत कविता कोश हिन्दी कविताएँ

रुपसा रमोती घुंघुर नि बाजा छम….

भावार्थ (पहले संस्करण का) : पहले संस्करण से यह अहसास होता है कि एक जीजा और साली मेले से लौट रहे हैं और साली थोड़ी तेज चल रही है तो जीजा उससे कहता है कि हे रुपसी (रुपवान) रमौती (साली को प्यार से दिया हुआ नाम) तू इतनी तेज घुंघरू बजाते हुए मत चल। अरे रुक जा धीरे धीरे चलते हैं इतनी तेज क्यों चल रही है। अरे घर में मां डांटेगी, चिल्लायेगी..देखों कैसे हल लगाकर धान बोये थे जिन्हें पहले पक्षी खा रहे हैं, उसके बाद किसानों का नम्बर आयेगा और तू इतनी तेज चल रही हैं। (रास्ते में शायद साली किलमोडी (एक पहाड़ी फल) खाने लगी है तो जीजा कहता है)। अरे किलमोड़ी मत खा इसको खाने से जीभ काली हो जायेगी। मैं तेरा इतना रंगीला जीजा हूँ और तू मेरी इतनी सुन्दर साली है। इस तरह घुंघरू मत बजा। अरे घर में मां डांटेगी, चिल्लायेगी..मैं अस्सी रुपये में एक बैल खरीद के लाया जिसकी पूंछ झड़ी हुई है। मेरी प्यारी साली तू थोड़ा धीरे धीरे चल।
ओ रुपसा रमोती घुंघुर ना बाजा छम….
छुमा रुपसा रमोती घुंघुर ना बाजा छम…. 
छुमा जागी जा, माठु-माठु जौलूँ,  किलै जैंछे चम… 
छमा रुपसा रमोती, घुंघुर ना बाजा छम्मऽऽऽऽ
दैऽऽऽऽ रुपसाऽऽऽऽऽऽ 
मै खै देली, मैं टोकेली हलिया हल बाये, छ्म छ्म बोये धाना 
ओ पैली खानी चूहा पंछी फिर खाये किसाना 
फिर खाये किसाना दै किहुण कौंछे खण्यूणी द पै घुंघुर ना बाजा छुम छुम 
बुड़िये कि ज्वाना, घुंघुर ना बाजा छुम 
छुमा बुड़िये कि ज्वाना, घुंघुर ना बाजा छुम 
छुमा रुपसा रमोती, घुंघुर ना बाजा छुम
दैऽऽऽऽ रुपसाऽऽऽऽऽऽ 
खैमरे की पायी, किलमोड़ी झन खैये गीज होली कायी 
गीज होली कायी, मैं तेरो रंगील भिना  घुंघुरु ना बाजा छुम छुम 
द पै  तू रंगीली साई घुंघुर ना बजा छुम 
छुमा तू रंगीली साई घुंघुर ना बजा छुम 
छुमा रुपसा रमोती, घुंघुर ना बाजा छुम 
छुमा रुपसा रमोती, घुंघुर ना बाजा छुम
दैऽऽऽऽ रुपसाऽऽऽऽऽऽ 
मै खै देली, मैं टोकेली, ताल को जड़िया अस्सी में बल्द ल्याऊं पुछ्ड़ झड़िया 
पुछ्ड़ झड़िया, ख्वार में गागर तेरो पाणी को भरिया 
ओ माठु माठु हिट चकोरा घुंघुर ना बाजा छुम 
ओ मेरी हौंसिया घुंघुर ना बाजा छुम 
छुमा ओ मेरी हौंसिया घुंघुर ना बाजा छुम
छुमा रुपसा रमोती, घुंघुर ना बाजा

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