होठों से छू लो तुम मेरा गीत अमर कर दो

होठों से छू लो तुम
मेरा गीत अमर कर दो
बन जाओ मीत मेरे
मेरी प्रीत अमर कर दो

ना उम्र की सीमा हो, ना जन्म का हो बंधन
जब प्यार करे कोई तो देखे केवल मन
नई रीत चलाकर तुम ये रीत अमर कर दो

आकाश का सूनापन मेरे तनहा मन में
पायल छनकाती तुम आ जाओ जीवन में
साँसे देकर अपनी संगीत अमर कर दो

जग ने छिना मुझसे, मुझे जो भी लगा प्यारा
सब जीता किये मुझसे, मैं हर दम ही हारा
तुम हार के दिल अपना, मेरी जीत अमर कर दो

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