अस्कोँ के लेके धारे बेआस बेसहारे लो कूच कर रहे हैँ हम शहर से तुम्हारे।

रास्ते खुद ही तबाही के निकाले हमने
कर दिया दिल किसी पत्थर के हवाले हमने
हमको मालूम है क्या शह है मुहब्बत लोगो
अपना घर फूँक के देखे उजाले हमने
अश्कोँ के लेके धारे
अश्कोँ के लेके धारे
बेआस बे सहारे लो कूँच कर रहे हैँ
हम शहर से तुम्हारे

ये तेरा जुल्म है या तकदीर के सितम हैँ
कैसे तुम्हे बताएँ कितने उदास हम हैँ
तूफां मेँ घिरे हैँ मिलते नही किनारे
अश्कोँ के लेके धारे 
बेआस बे सहारे
लो कूँच कर रहे हैँ हम शहर से तुम्हारे

तेरे मरीज ए गम की नब्ज भी थम रही है 2
अब मौत धीरे धीरे शरहले जम रही है
इस हाल ए बेकशी मेँ कोई क्या तुम्हे पुकारे
अस्कोँ के लेके धारे.........

कोई कह दे ये मुहब्बत के खरीदारोँ से
प्यार वो सह है जो मिलती नही बजारोँ से
हम तो पहले ही मुहब्बत मेँ जले हुए बैठे हैँ
क्यो डराते हो दहकते हुए अंगारोँ से

नफरत की भीड़ मेँ हम कुछ ऐसे घिर गये हैँ -2-
हम मौत से ही पहले बेमौत मर गये हैँ
हैँ डर के सौख सदमे तकदीर के सितारे
अस्कोँ के लेके धारे बेआस बेसहारे
लो कूच कर रहे हैँ हम शहर से तुम्हारे।

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