तीन पराणी


एक गों का तीन पराणी, घन्ना, मंगतु, मोलु, 
ऊँची धार मां बैठी बोल्दा, कब होलु मुंड निखोलु. 
घन्ना भै फर रोग लागिगी, पैन् लग्युं छ दारू, 
समझावा त बोल्दु छ, कन्नु मुर्दा मरी तुमारू. 
जनम बीती छ निर्पट लाटू, फुंड धोल्युं स्यु मोलु, 
उल्टा कम करिक बोल्दु, कब होलु मुंड निखोलु. 
मंगत्या बन्युं छ मंगतु गौं माँ, या छ वैकी लाचारी, 
अलगस का बस ह्वैक होईं छ, दुनिया वैकी न्यारी. 
जब जब कठा होंदा छन, गौं का यी तीन पराणी, 
छुयों माँ सी बिल्मै जांदा, ब्वई रन्दी, तौंकी भट्यानी. 
तोउ भी सैडा गौं का लोग बोंना छन, यी छन हमारा लाल, 
ऊंसी त यी भला ही छन, जौन छोडियाली गढ़वाल. 

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