होली खेलो, फागुन रितु आय रही,
राधा नन्द कुंवर समझाय रही,
समझाय रही , वो मनाय रही,
होली खेलो, फागुन रितु आय रही,
राधा नन्द............
अबीर गुलाल के थाल सजे हैं,
केसर रंग छिड़काय रही,
बेला भी फूले, चमेली भी फूले,
सरसों फूल सरसाय रही,
राधा नन्द...........
परकी होलिन में घर से न निकसों,
बय्यां पकड़ समझाय रही,
राधा नन्द...........
रंग की रंगीली, छवि की छबीली,
चरनन शीश नवाय रही,
राधा नन्द...........
चुन-चुन कलियां हार बनाऊं,
श्याम गले पहनाय रही,
राधा नन्द...........।
समझाय रही , वो मनाय रही,
होली खेलो, फागुन रितु आय रही,
राधा नन्द............
अबीर गुलाल के थाल सजे हैं,
केसर रंग छिड़काय रही,
बेला भी फूले, चमेली भी फूले,
सरसों फूल सरसाय रही,
राधा नन्द...........
परकी होलिन में घर से न निकसों,
बय्यां पकड़ समझाय रही,
राधा नन्द...........
रंग की रंगीली, छवि की छबीली,
चरनन शीश नवाय रही,
राधा नन्द...........
चुन-चुन कलियां हार बनाऊं,
श्याम गले पहनाय रही,
राधा नन्द...........।
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