एक मोती दो हार, हीरा चमकी रह्यो,



एक मोती दो हार, हीरा चमकी रह्यो,
चमकी रह्यो आधी रात, हीरा चमकी रह्यो,
एक मोती दो हार........
रोहणी के बुद्धवार, भादों की रात में,
कृष्ण भयो अवतार, हीरा चमकी रह्यो,
एक मोती दो हार........
बारी चौकी कंस राजा की,
चौंकी गये सब सोई, हीरा चमकी रह्यो,
एक मोती दो हार........
बसुदेव-देवकी की बनदी खुली गयो,
बजरा को केवाड़, हीरा चमकी रह्यो,
एक मोती दो हार........
लेकर बालक सिर पै धरो है,
चल जमुना के तीर, हीरा चमकी रह्यो,
एक मोती दो हार........
पीछे से बनराज गरजे,
आगे जमुना अथाह, हीरा चमकी रह्यो,
एक मोती दो हार........
आरों मेघ भादों बरसे,
नदियां चढ़ी असमान, हीरा चमकी रह्यो,
एक मोती दो हार........
कृष्ण जी ने चरण छूआये,
यमुना हो गई थाह, हीरा चमकी रह्यो,
एक मोती दो हार........
आगे जाबे पीछे के ठहरे,
यमुना पड़ गई रेख, हीरा चमकी रह्यो,
एक मोती दो हार........
जाबे तो आगे पार उतर गये,
हो गई जै-जै कार, हीरा चमकी रह्यो,
एक मोती दो हार........
देवकी के गोद में जन्म लियो है,
यशोदा गोद खिलाये, हीरा चमकी रह्यो,
एक मोती दो हार........।

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