उठ सुआ उज्याउ हैगो, चम चमैगो घामा
रंगीली चंगीली पुतई जसी
यदि आपको अपनी श्रीमती जी को सुबह सुबह जगाना हो तो आप क्या करेंगे? यदि आपको कुछ ना सूझ रहा हो तो एक तरीका है कि आप कोई गाना गाएं और ऐसा गाना रंगीली चंगीली पुतई जसी से बेहतर क्या हो सकता है। इसमें एक व्यक्ति सुबह सुबह अपनी सोई हुई पत्नी को जगा रहा है। वह इतनी खूबसूरत उपमाओं से अपनी पत्नी को संबोधित कर रहा है और उसकी मिन्नतें कर रहा है कि श्रीमती जी भी मन ही मन मुस्कुरा रही होंगी।
गीत का भावार्थ : तितली के समान रंगों सी सजी हुई, ककड़ी के फूल जैसी, मेरी भागवान सुबह हो गयी है, धूप निकल आयी है अब तो उठ जा। गोशाला में भूख से व्याकुल होकर गाय-बछड़े आवाज करने लगे हैं, तेरी नींद को क्या हो गया है, आस पास की पहाड़ियों पर अपनी अपनी दरातियां लेकर औरतें घास काटने निकल चुकी हैं, अरे मेरी नारंगी के दाने जैसी अब तो उठ जा। अब उठ भी जा, इतने नखरे ना कर, ये बिस्तर फैंक के बाहर निकल, ले गरम गरम चाय पी ले। अरे मेरी पूरनमासी की चंदा ये खर्राटे मारना छोड़, ले गुड़ के साथ एक घूंट चाय का पी और उठ जा। अब उठ भी जा ना।
गीत
रंगीली चंगीली पुतई जसी, फुल फटंगां जून जसी, काकड़े फुल्युड़ जसी ओ मेरी किसाणा
उठ सुआ उज्याउ हैगो, चम चमैगो घामा, उठ सुआ उज्याउ हैगो, चम चमैगो घामा
रंगीली चंगीली पुतई जसी, फुल फटंगां जून जसी, काकड़े फुल्युड़ जसी ओ मेरी किसाणा
उठ सुआ उज्याउ हैगो, चम चमैगो घामा, उठ सुआ उज्याउ हैगो, चम चमैगो घामा
गोर बाछा अड़ाट लैगो भुखै गोठ पना,गोर बाछा अड़ाट लैगो भुखै गोठ पना
तेरि नीना बज्यूण हैगे, उठ बे चमाचम,तेरि नीना बज्यूण हैगे, उठ बे चमाचम
घस्यारूं दातुली खणकि, घस्यारू दातुली खणकि, खणकि वार पार का डाना,
उठ मेरी नांरिंगे दाणी, उठ बे चमाचम, उठ मेरी नांरिंगे दाणी, उठ बे चमाचम
उठ भागी नाखर नाकर, पली खेड़ खाताड़ा, उठ भागी नाखर नाकर, पली खेड़ खाताड़ा
ले पिले चहा गिलास गरमा गरम, ले पिले चहा गिलास गरमा गरम
उठे मेरी पुन्यू की जूना, उठे मेरी पुन्यू की जूना , छोड़ बे घुर घूरा
ले पिले चहा घुटुकी, गूड़ा को कटका, ले पिले चहा घुटुकी, गूड़ा को कटका
रंगीली चंगीली पुतई जसी, फुल फटंगां जून जसी, काकड़े फुल्युड़ जसी ओ मेरी किसाणा
उठ सुआ उज्याउ हैगो, चम चमैगो घामा
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